फिल्म अभिनेता इमरान हाशमी ने मुम्बई की एक हाउसिंग सोसाइटी पर गंभीर आरोप लगाया है और कहा है की उन्हे उस सोसायटी में इस लिए घर नही मिल रहा है क्योकि वो एक मुस्लि है क्या इमरान के आरोपों में सच्चाई है?....ये पहली बार नही है जब फिल्म जगत की किसी हस्ती ने एसा आरोप लगाया है इससे पहले शबाना आज़मी सैफ अली खान भी एसे आरोप लगा चुके आरोप गंभीर है ...इस बात से तो सभी वाकिफ हैं की जुहू और बांद्रा में मुस्लिम कलाकारों को घर मिलने में हमेशा दिक्क्त इसलिए इस पर बहस जरुरी है ये लोग फिल्मी हस्तिया अपनी बात या अपने साथ हो रहे सलूक को ज्यादा बेहतर ढंग से बयान कर सकते है लेकिन क्या किसी ने सोचा है की 21वी सदी के मेट्रोपोलिटिन कहने जाने वाले हमारे शहरों में एसे वाक्यात रोज़ होते है एक सच्चा किस्सा बयान कर रहा हू जो हमारी धर्मनिरपेक्ष सोच पर से पर्दा उठाते है.. मेरे एक जानकार मुस्लिम दोस्त है ....एक रोज़ हमसे कहने लगे की यार अपनी कालोनी में हमारे लिए किराये का मकान देखों .....पांच वक्त के नमाजी आदमी है... और हैरत की बात है की पूरी तरह से शाकाहारी है... जबकि मै मांस मच्छी सब खाता हूं ...एक दफा मैने उनसे पूछा की आप एक मजहब में तो इस पर रोक नही है तो फिर आप ये सब क्यों नही खाते उन्होने कहा की मजहब का बात नही है बस यूंही नही खाता और मेरे घर में भी कोई नही खाता...खैर मैने उनके लिए मकान खोजना शुरु कर दिया पेशे से एक संस्थान में नेटवर्क एडमिनीस्ट्रेटर है...आमदनी ठीक ठाक .....कुछ कोशिशों के बाद एक खाली मकान निगाह में आया दरअसल जिनके यहां पहले मै किराये पर रहता था उन्ही का मकान खाली था मेरे संबध पुराने मकान मालिक से से अच्छे थे सो फोन पर बात होने के बाद उन्होने कहा की यार जो भी है उनहे आज शाम को मकान दिखाने ले आओ मै उन्हे मकान दिखाने ले गया शाम को चाय पर मकान मालिक से मुलाताकात हुई मेरे दोस्त मेरे साथ थे बातचीत का सिलसिला शुरु हुआ जब परिचय हुआ तो मेरे पुराने मकान मालिक के चेहरे के हावभाव बदल गये यकिन मानिये मैने मकानमालिक के चेहरे के एक एक भाव को उस वक्त पढ़ा.. शायद मेरे दोस्त ने भी पढा होगा.. अचानक उन्होने कह दिया की अभी मकान में कुछ काम होना बाकी है सो अभी वो मकान नही दे पायेंगे... मुझे और मेरे दोस्त को समझते देर नही लगी की की अचानक उनके रवैये में इस बदलाव की वजह क्या थी.... उनके यहां से बाहर आने के बाद मैं अपने दोस्त से नजरें नही मिला पाया मेरे दोस्त ने कहा कोई बात नही हो जात है.... तुम मेरे लिए कोई और मकान देख लो सभी लोग एक से नही होते ये सुनकर मै बड़ी खामोशी से उन से विदा लेकर चल पड़ा..... शाम को यही सोच कर मैनें कुछ और घर ढूढने की कोशिश की लेकिन इस बार मैने सबको ये पहले ही बता दिया की मेरा देस्त मुस्लिम है यकिन मानिये सब ने न कह दी उसी रात मुझे मेरे पुराने मकान मालिक का फोन आया मुझे लगा का शायद वो अपने किए के लिए शर्मिंदा होंगे लेकिन एसा कुछ नही था उन्होने कहा की ''तुम्हे हमारी सेफ्टी का कुछ ख्याल है नही यार तुम किसी को भी ले आये..... एक मुस्लमान के ला रहे हो ये मुझे पहले बताना था'' ....इस के बाद मै पूरी रात ये ही सोचता रहा की आखिर इसके पीछे बजह क्या थी
मेरे बारे में...
- राहुल गोयल
- पेशे से पत्रकार हूं ...करियर अभी शुरु किया है सो अभी तो इस विचित्र दुनिया को समझने की कोशिश कर रहा हूं.....
लेबल
एक मुसल्मान को ला रहे हो ये मुझे पहले बताना था....are we secular?
Thursday, July 30, 2009प्रस्तुतकर्ता राहुल गोयल पर 11:06 PM 5 टिप्पणियाँ
जीना इसी का नाम है.........
Wednesday, July 29, 2009
एक सड़क हादसे मे दोस्त की मौत ने कुछ यूवाओं को इस कदर झकझोरा की इन दोस्तों ने एसे लोगों की जिंदगी बचाने का बीड़ा उठा लिया जो सड़क हादसे का शिकार होने के बाद एक अदद मदद को तरस रहे होते है ....अब जैसै ही इन लोगों को सड़क हादसे में किसी के घायल होनो की खबर मिलती है ये उन्हे बचाने दौड़ पड़ते है इसके लिए इन्होने एक एंब्यलोंस सेवा भी शुरु की है......दरअसल कुछ साल पहले जब ये लोग कार से कहीं जा रहे थे तभी गाजियाबाद में हाइवे पर इनकी कार का एक्सीडेंट हो गया खून से लथपथ ये लोग कार में फंसे अपने दोस्त की जिंदगी बचाने के लिए लोगों से गुहार लगाते रहे..... हाईवे पर आती जाती कई गाड़ियों के रोकने की कोशिश इन्होने की..... लेकिन किसी ने भी रुकने और इनकी मदद करने की जरुरत नही समझी....आखिरकार इनका दोस्त मौत से जंग हार गया ये लोग दोस्त के लिए ढेड़ घंटे तक मदद का इंतजार करते रहे लेकिन इन्हे मदद नही मिली अपने दोस्त को खोने के बाद इन्होने फैसला किया की ये अब मदद के लिए तरसते लोगों की जिंदगीयां बचायेंगे ...और तभी से ये लोग नोएडा और आसपास हादसे का सइकार हो रहे लोगों का मदद करते आ रहे है .......इस बारे में पोस्ट लिखने का मकसद और कुछ नही ब्लकि इस नेक काम के बारें मे ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताना है अगर आप भी कभी किसी सड़क हादसे के शिकार की मदद करना चाहें तो एक सड़क हादसे मे दोस्त की मौत ने कुछ यूवाओं को इस कदर झकझोरा की इन दोस्तों ने एसे लोगों की जिंदगी बचाने का बीड़ा उठा लिया जो सड़क हादसे का शिकार होने के बाद एक अदद मदद को तरस रहे होते है ....अब जैसै ही इन लोगों को सड़क हादसे में किसी के घायल होनो की खबर मिलती है ये उन्हे बचाने दौड़ पड़ते है इसके लिए इन्होने एक एंब्यलोंस सेवा भी शुरु की है......दरअसल कुछ साल पहले जब ये लोग कार से कहीं जा रहे थे तभी गाजियाबाद में हाइवे पर इनकी कार का एक्सीडेंट हो गया खून से लथपथ ये लोग कार में फंसे अपने दोस्त की जिंदगी बचाने के लिए लोगों से गुहार लगाते रहे..... हाईवे पर आती जाती कई गाड़ियों के रोकने की कोशिश इन्होने की..... लेकिन किसी ने भी रुकने और इनकी मदद करने की जरुरत नही समझी....आखिरकार इनका दोस्त मौत से जंग हार गया ये लोग दोस्त के लिए ढेड़ घंटे तक मदद का इंतजार करते रहे लेकिन इन्हे मदद नही मिली अपने दोस्त को खोने के बाद इन्होने फैसला किया की ये अब मदद के लिए तरसते लोगों की जिंदगीयां बचायेंगे ...और तभी से ये लोग नोएडा और आसपास हादसे का सइकार हो रहे लोगों का मदद करते आ रहे है .......इस बारे में पोस्ट लिखने का मकसद और कुछ नही ब्लकि इस नेक काम के बारें मे ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताना है अगर आप भी कभी किसी सड़क हादसे के शिकार की मदद करना चाहें तो 9899577999. पर सूचना दे सकते है.........
प्रस्तुतकर्ता राहुल गोयल पर 9:10 PM 2 टिप्पणियाँ
शो में सेक्स पर हल्ला पर जो मन में है उसका क्या करोगे
Tuesday, July 28, 2009
नये कार्यक्रमों में जिस तरह से सेक्स परोसा जा रहा है जो अश्लीलता दिखाई जा रही है उस पर खासा हल्ला मच रहा है न जाने कितने लोग इसे भोंडा करार दे रहे है कहते है सेक्स पर सवाल नही पूछे जाने चाहिये.. इसका प्रदर्शन नही करना चाहिये ये हमारी संसकृति को नष्ट कर देगा चलीये मान लेते है की इस बात में दम है .... वाकई ये शर्म का विषय है लेकिन इसका विरोध करने वाले सभी लोगों से मै पूछना चाहुंगा की क्या वाकई आप सभी लोग अपने मन और जेहन में इतने ही साफ है जितना पुरजोर तरीके से आप लोग इसका विरोध कर रहे है .....भारत में पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध है तो क्या भारत में अश्लील वेबसाईट सर्च करने वालों का तादाद विश्व के बाकी ह्स्सों से कम है ... क्या मोबाईल फोन में एसी क्लीपस रखने वालों का संख्या हमारे यहां न के बराबर है...सानिया मिर्जा को सकर्ट न पहन कर खेलने की हिदायत देने वाले देश में क्या एसे लोग नही है जो नेट पर पूरा दिन इन जैसी हस्तियों के अश्लील चित्र खोजते हुए ही बिताते है. गे रिश्तों को मान्यता दे देने वाले देश में सेक्स के नाम पर लोगों का ये दोहरा चरित्र किस ओर ईशारा करता है ?मै यहां टीवी पर सेक्स परोसे जाने की संस्कृति का बिल्कुल भी समर्थन नही कर रहा हूं लेकिन उन लोगों से सवाल जरुर कर रहा हूं जो दिखाते कुछ और है और होते कुछ और जिस पेशे में मै काम करता हूं वहां कमोबेश हर दूसरा शख्स इस फिराक में रहता है कैसे किसी महिला को आगे बढाने के नाम पर उसका दैहिक शोषण किया जायें ...जिन नेताओं ने लोकसभा और राज्यसभा में देश के नैतिक मूल्यों की दुहाई दी और सदन में हंगामा किया क्या उनके चरित्र और मन इस विषय पर पाक साफ है.... पेशें में रहते हुए मै और मेरे जैसे कइ लोग ये जानते है की कैये से तथाकथित भारतीय संसकृति के नेता कार्ल गर्लस और मजबूर लड़कियों का इस्तेमाल करते है ...कालेजों में कांडम वेंडिग मशीनें लगाने की सिफारिश करने वाले देश में सेक्स को लेकर ये दोहरी मानसिकता समझ से परें है ... जिस देश में में 70 प्रतिशत लोग विवाह से पहले ही सेक्स का स्वाद चख चुकें हो वहां सेक्स को लेकर नैतिकता की दुहाई देना दोहरा मांनदड नही है तो और क्या है .....मैं इस खुलेपन का समर्थन नही कर रहा हूं लेकिन य कह रहा हूं की खिचड़ी संस्कृति के अपनाने से अच्छा है की आप एक राह चुन ले और उस पर चले मन में अश्लीलता और जुबान पर सेक्स और एसे विषयों को लेकर विरोध के स्वर ....फैसला आप करें..
प्रस्तुतकर्ता राहुल गोयल पर 12:57 AM 3 टिप्पणियाँ
लेबल: सच का सामना, सेक्स
क्या देश का तालिबानीकरण करके मानोगे
Sunday, July 26, 2009इन दिनों भारत का एक तरह का तालिबानीकरण करने की कोशिश चल रही भारतीय संस्कृति के झंडाबरदारों को संस्कृति के नष्ट होने की आजकल ऐसी चिंता खाए जे रही है जैसी आज से पहले कभी नहीं थी .....इस पर पाबन्दी लगा दो, उसे बंद करदो ये, पहनने की इजाज़त मत दो, ये अश्लील है, वो भोंडा है ... ..और आजकल संस्कृति के पहरेदारों ने निशाना बनाया है टीवी पर आने वाले रियल्टी शोज़ और सीरियल्स को....... एक अमेरिकी टीवी शो मूमेंट ऑफ़ ट्रुथ के भारतीय संस्करण 'सच का सामना' पर विवाद तो ऐसा गर्माया है जैसे भारतीय टेलीविजन पर एक शो का नहीं किसी बी ग्रेड फिल्म का प्रसारण किया जा रहा हो ..... भाई सच बोलना तो हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है न तो इस पर क्या परेशानी है... झूठ की बुनियाद पर ज़िन्दगी जीने वालों को सच की गोली हज़म क्यों नहीं हो रही है ...अगर कोई अपनी ज़िन्दगी के ऐसे खुलासे कर रहा है जिसके उसकी ज़िन्दगी तबाह हो सकती तो भी ये किसी का खुद का फैसला है इसपर आपत्ति क्यों इस कार्यक्रम के ज़रिये न सही लेकिन कभी न कभी तो सच सामने आता है न तो फिर इसको एक वयाव्सायिक रूप देने में क्या दिक्कत है दुनिया के साथ देशों में ये शो चल रहा है लेकिन सिर्फ हमारे यहीं इस पर इतना हंगामा उठ रहा है.. लोगों का आरोप है की इसमें पूछे जाने वाले सवाल अश्लील और भोंडे होते है .....अगर किसी का पति शो पर ये कहता है की अगर उसकी पत्नी को पता न चले तो वो किसी दूसरी औरत के साथ हमबिस्तर हो जाएगा अब औसने ये शो पर बता दिया तो संस्कृति के खिलाफ हो गया वो ये असल में करता और किसी को पता नहीं चलता तो इसमें कुछ गलत नहीं था... परदे की अहमियत तभी तक है जब तक पर्दा करने वाला ये समझता है की ये उसके लिए जरुरी है इस तरह की बातों पर शोशा करने वालों को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए... क्या वो असल में क्या भारत की संस्कृति और सभ्यता को इतना कमज़ोर क्यों समझा जाता है उसके संस्कार पच्छिम से आने वाली हवा बहा के ले जायेगी... और वैस भी किसी देश के लोग ही देश की सभ्यता को तय करते है न की सभ्यता ये तय करेगी की उसमे किस तरह के लोग रहेंगे.... हंगामा सिर्फ इस शो पर ही नहीं है कई दुसरे शोज़ पर भी अश्लीलता फैलाने के आरोप लग रहे है लेकिन इन आरोप लगाने वालों से कोई ये पूछें की जब लोग देख रहे हो तो इन्हें क्या दिक्कत है.... इन नए तालिबानियों के पास तर्क है की जिस तरह के द्रश्य इन कर्यक्रमों में दिखाए जाते है वो संस्कृति के माकूल नहीं है तो यार रिमोट तो आपके ही हाथों में है बदल दो और वैस भी केबल के जरिये जिस तबके तक ये कार्यक्रम पहुँच रहे है वो कोई ऐसा अनपढ़ तबका नहीं है जिसे अपने अछे बुरे की समझ के लिए ये हंगामा बरपाने वालें लोगों की ज़रूरत पड़ेगी वो भली भांति ये जनता है की वो क्या देख रहा है और उसे क्या नहीं देखना है... हंगामा करने वाले सिर्फ छपास की बीमारी से ग्रस्त है और कुछ नहीं देश है कोई गाय भैसों का झुंड नहीं है जिसे आप अपनी लाठी से हांक ने की कोशिश करते रहेंगे ऐसा न ही की आपसे आजिज़ आकर किसी दिन लोग सबसे पहले आपको ही लठिया दे.......... सो परिक्व जनता को परिक्व देश बनाने दे इसमें रोडे न अटकाए...
प्रस्तुतकर्ता राहुल गोयल पर 12:00 AM 0 टिप्पणियाँ
लेबल: पाखंड, सच का सामना