आज कल खुद से ही जूझता हूं मै..
खुद से ही हर सवाल पूछता हूं मै...
कुछ पाने के लिए कुछ खो रहा हूं मै..
या कुछ खोने के लिए के लिए पा रहा हूं मै...
समझ नही आता की कहां जा रहा हूं मै...
क्या अपने से किया वादा निभा रहा हू मै..
या नए वादों के वास्ते राह बना रहा हूं मै...
बोल है बिखरे बिखरे से
पर हर पल नया गीत गा रहा हूं मै...
हर चाहत का कत्ल करता हूं मै
लेकिन खुद को कातिल कहने से डरता हूं मै
लोगों को सामने ज़िंदादिल रहता हूं बरबस ही
पर तनहाई में आजकल मरता हूं मै
आज कल खुद से ही जूझता हूं मै..
खुद से ही हर सवाल पूछता हूं मै...
Mohalla Live
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Mohalla Live
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जाहिलों पर क्या कलम खराब करना!
Posted: 07 Jan 2016 03:37 AM PST
➧ *नदीम एस अख्तर*
मित्रगण कह रहे हैं कि...
8 years ago