शो में सेक्स पर हल्ला पर जो मन में है उसका क्या करोगे

Tuesday, July 28, 2009



नये कार्यक्रमों में जिस तरह से सेक्स परोसा जा रहा है जो अश्लीलता दिखाई जा रही है उस पर खासा हल्ला मच रहा है न जाने कितने लोग इसे भोंडा करार दे रहे है कहते है सेक्स पर सवाल नही पूछे जाने चाहिये.. इसका प्रदर्शन नही करना चाहिये ये हमारी संसकृति को नष्ट कर देगा चलीये मान लेते है की इस बात में दम है .... वाकई ये शर्म का विषय है लेकिन इसका विरोध करने वाले सभी लोगों से मै पूछना चाहुंगा की क्या वाकई आप सभी लोग अपने मन और जेहन में इतने ही साफ है जितना पुरजोर तरीके से आप लोग इसका विरोध कर रहे है .....भारत में पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध है तो क्या भारत में अश्लील वेबसाईट सर्च करने वालों का तादाद विश्व के बाकी ह्स्सों से कम है ... क्या मोबाईल फोन में एसी क्लीपस रखने वालों का संख्या हमारे यहां न के बराबर है...सानिया मिर्जा को सकर्ट न पहन कर खेलने की हिदायत देने वाले देश में क्या एसे लोग नही है जो नेट पर पूरा दिन इन जैसी हस्तियों के अश्लील चित्र खोजते हुए ही बिताते है. गे रिश्तों को मान्यता दे देने वाले देश में सेक्स के नाम पर लोगों का ये दोहरा चरित्र किस ओर ईशारा करता है ?मै यहां टीवी पर सेक्स परोसे जाने की संस्कृति का बिल्कुल भी समर्थन नही कर रहा हूं लेकिन उन लोगों से सवाल जरुर कर रहा हूं जो दिखाते कुछ और है और होते कुछ और जिस पेशे में मै काम करता हूं वहां कमोबेश हर दूसरा शख्स इस फिराक में रहता है कैसे किसी महिला को आगे बढाने के नाम पर उसका दैहिक शोषण किया जायें ...जिन नेताओं ने लोकसभा और राज्यसभा में देश के नैतिक मूल्यों की दुहाई दी और सदन में हंगामा किया क्या उनके चरित्र और मन इस विषय पर पाक साफ है.... पेशें में रहते हुए मै और मेरे जैसे कइ लोग ये जानते है की कैये से तथाकथित भारतीय संसकृति के नेता कार्ल गर्लस और मजबूर लड़कियों का इस्तेमाल करते है ...कालेजों में कांडम वेंडिग मशीनें लगाने की सिफारिश करने वाले देश में सेक्स को लेकर ये दोहरी मानसिकता समझ से परें है ... जिस देश में में 70 प्रतिशत लोग विवाह से पहले ही सेक्स का स्वाद चख चुकें हो वहां सेक्स को लेकर नैतिकता की दुहाई देना दोहरा मांनदड नही है तो और क्या है .....मैं इस खुलेपन का समर्थन नही कर रहा हूं लेकिन य कह रहा हूं की खिचड़ी संस्कृति के अपनाने से अच्छा है की आप एक राह चुन ले और उस पर चले मन में अश्लीलता और जुबान पर सेक्स और एसे विषयों को लेकर विरोध के स्वर ....फैसला आप करें..

3 टिप्पणियाँ:

Aadarsh Rathore said...

राहुल सब से अच्छी बात ये है कि आपके मन में जो विचार आते हैं आप उन्हें अभिव्यक्त तो करते हैं। वरन् कई लोग ऐसे हैं जिन्हें अपने स्टैंड के बारे में पता ही नहीं है कि वो कहां खड़े हैं (शायद मैं भी)।

धन्यवाद

राहुल यार बात तो ठीक है पर बेडरुम में हो रही चीज़ो को खुलेआम करना कहां तक ठीक है, ये तो एक शुरुआत भर है, सेक्स पर बातचीत से जिस जगह लोग नहीं शर्माते है वहां भी अपनी बीवीयों के साथ ही इस जीवन का आनंद उठाते है न कि खुलेआम सड़को पर अंदर की बातों को बता कर चुस्कियां लेते है

 
 
 

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