क्या देश का तालिबानीकरण करके मानोगे

Sunday, July 26, 2009



इन दिनों भारत का एक तरह का तालिबानीकरण करने की कोशिश चल रही भारतीय संस्कृति के झंडाबरदारों को संस्कृति के नष्ट होने की आजकल ऐसी चिंता खाए जे रही है जैसी आज से पहले कभी नहीं थी .....इस पर पाबन्दी लगा दो, उसे बंद करदो ये, पहनने की इजाज़त मत दो, ये अश्लील है, वो भोंडा है ... ..और आजकल संस्कृति के पहरेदारों ने निशाना बनाया है टीवी पर आने वाले रियल्टी शोज़ और सीरियल्स को....... एक अमेरिकी टीवी शो मूमेंट ऑफ़ ट्रुथ के भारतीय संस्करण 'सच का सामना' पर विवाद तो ऐसा गर्माया है जैसे भारतीय टेलीविजन पर एक शो का नहीं किसी बी ग्रेड फिल्म का प्रसारण किया जा रहा हो ..... भाई सच बोलना तो हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है न तो इस पर क्या परेशानी है... झूठ की बुनियाद पर ज़िन्दगी जीने वालों को सच की गोली हज़म क्यों नहीं हो रही है ...अगर कोई अपनी ज़िन्दगी के ऐसे खुलासे कर रहा है जिसके उसकी ज़िन्दगी तबाह हो सकती तो भी ये किसी का खुद का फैसला है इसपर आपत्ति क्यों इस कार्यक्रम के ज़रिये न सही लेकिन कभी न कभी तो सच सामने आता है न तो फिर इसको एक वयाव्सायिक रूप देने में क्या दिक्कत है दुनिया के साथ देशों में ये शो चल रहा है लेकिन सिर्फ हमारे यहीं इस पर इतना हंगामा उठ रहा है.. लोगों का आरोप है की इसमें पूछे जाने वाले सवाल अश्लील और भोंडे होते है .....अगर किसी का पति शो पर ये कहता है की अगर उसकी पत्नी को पता न चले तो वो किसी दूसरी औरत के साथ हमबिस्तर हो जाएगा अब औसने ये शो पर बता दिया तो संस्कृति के खिलाफ हो गया वो ये असल में करता और किसी को पता नहीं चलता तो इसमें कुछ गलत नहीं था... परदे की अहमियत तभी तक है जब तक पर्दा करने वाला ये समझता है की ये उसके लिए जरुरी है इस तरह की बातों पर शोशा करने वालों को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए... क्या वो असल में क्या भारत की संस्कृति और सभ्यता को इतना कमज़ोर क्यों समझा जाता है उसके संस्कार पच्छिम से आने वाली हवा बहा के ले जायेगी... और वैस भी किसी देश के लोग ही देश की सभ्यता को तय करते है न की सभ्यता ये तय करेगी की उसमे किस तरह के लोग रहेंगे.... हंगामा सिर्फ इस शो पर ही नहीं है कई दुसरे शोज़ पर भी अश्लीलता फैलाने के आरोप लग रहे है लेकिन इन आरोप लगाने वालों से कोई ये पूछें की जब लोग देख रहे हो तो इन्हें क्या दिक्कत है.... इन नए तालिबानियों के पास तर्क है की जिस तरह के द्रश्य इन कर्यक्रमों में दिखाए जाते है वो संस्कृति के माकूल नहीं है तो यार रिमोट तो आपके ही हाथों में है बदल दो और वैस भी केबल के जरिये जिस तबके तक ये कार्यक्रम पहुँच रहे है वो कोई ऐसा अनपढ़ तबका नहीं है जिसे अपने अछे बुरे की समझ के लिए ये हंगामा बरपाने वालें लोगों की ज़रूरत पड़ेगी वो भली भांति ये जनता है की वो क्या देख रहा है और उसे क्या नहीं देखना है... हंगामा करने वाले सिर्फ छपास की बीमारी से ग्रस्त है और कुछ नहीं देश है कोई गाय भैसों का झुंड नहीं है जिसे आप अपनी लाठी से हांक ने की कोशिश करते रहेंगे ऐसा न ही की आपसे आजिज़ आकर किसी दिन लोग सबसे पहले आपको ही लठिया दे.......... सो परिक्व जनता को परिक्व देश बनाने दे इसमें रोडे न अटकाए...

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