आतंक से हारते हम

Sunday, July 27, 2008


आतंकी एक बार अपने नापाक मंसूबों मे कामयाब हो गये सरकारें देखती रही सुरक्षा व्यवस्था मे एक बार फिर सेंध लगा दी गयी और फिर कई जाने चली गयी
लेकिन किसी भी नेता की और से एक बार भी ऐसा बयान नही आया जो इस और इशारा करता हो की बस अब बहुत हो अब इन इन्सनयित के दुश्मनो को
नही बक्शा जाएगा अब इनके खिलाफ और ढीला रवेया अख्तियार नही किया जाएगा ये बहुत अफ़सोस की बात है आखिर हमारी सहनशीलता को हमारी कमज़ोरी कब तक समझा जाएगा क्या सौ करोड़ की आबादी वाला हमारा देश इतना भी सक्षम नही है की इन
आतंकियो को मूहतोड़ जवाब ना दे सके बिल्कुल दे सकता है भला चन्द नापाक इरादे वालों की क्या मज़ाल की वो हमारी अखंडता को निशाना बनाए हमारे
सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करे वो बिल्कुल नही कर सकते लेकिन हमारी सरकारें उनके होसलो को बुलंदी देने का काम ज़रूर कर रही है क्या हमारी सरकारे
इन आतंकियों के मंसूबो से नावाकिफ़ है क्या वो नही जानती की इन्हे शह कहा से मिल रही है
क्या हमारे ख़ुफ़िया तंत्र फेल हो चुका है. सबको सब पता है कि इन सबके पिछे कौन है बस ज़रूरत है तो इच्छा शक्ति की इनके खिलाफ सख़्त कार्यवाही की
और ये वक़्त इनके रहनुमाओ के साथ दोस्ती का नही है बल्कि उन्हे सख़्त लफ़ज़ो मे हिदायत दे दी जानी चाहिए की बस अब बहुत हो गया इन्हे सरंक्षण
देना बंद करे वरना अगर हमारा खून खौला तो फिर इन्हे सरंक्षण देने वाला भी कोई नही रहेगा

खबरों से खेलो पर आस्था से तो मत खेलो

Sunday, June 8, 2008


खबरो से खेलने वेल दो चॅनेल इस वक़्त करोड़ो लोगो की आस्था से खेलने में जुटे है पत्रकारिता का स्तर इतना नीचे गिर जाएगए इसकी उम्मीद नही थी
खेलने के लिए यू ट्यूब से वीडीयो उठाकर बड़े बड़े खुलासे करने का दावा करने वाले इन चेनलों ने इस बार भगवान को ही निशाने पर ले लिया है भगवान को
बीच में रख कर दोनो एक दूसरे पर छींटाकशी करने से नही चूक रहे दोनो मे खुद को दर्शको का बड़ा हितेशी बताने की होड़ लगी है कल तक एक साई के वीडीयो को सच बता रहा था
तो आज दूसरे ने उसकी बेइज़्ज़ती करने की ठान ली असलियत तो ये है की किसी को भी लोगो की भावना की परवाह नही है बस टी आर पी आनी चाहिए फिर वो चाहे कैसे भी आए
जो प्रोडुसेर इस वक़्त साई के नाम पर खेल रहे है और एक दूसरे चेनलोंपर छींटाकशी कर रहे है वो देर रत किसी भी पब ये पार्टी मे जाम हाथ में लिए साई पर खेले
गये खेल की शान में कसीदे गाडते हुए सुने जा सकते है खबरो से खेलने वाले दो चॅनेल इस वक़्त करोड़ो लोगो की आस्था से खेलने में जुटे है पत्रकारिता का स्तर इतना नीचे गिर जाएगा इसकी उम्मीद नही थी
खेलने के लिए यू ट्यूब से विडियो उठाकर बड़े बड़े खुलासे करने का दावा करने वेल इन चन्नेलो ने इस बार भगवान को ही निशाने पर ले लिया है भगवान को
बीच में रख कर दोनो एक दूसरे पर छींटाकशी करने से नही चूक रहे दोनो मे खुद को दर्शको का बड़ा हितेशी बताने की होड़ लगी है कल तक एक साई के विडियो को सच बता रहा था
तो आज दूसरे ने उसकी बेइज़्ज़ती करने की ठान ली असलियत तो ये है की किसी को भी लोगो की भावना की परवाह नही है बस टी आर पी आनी चाहिए फिर वो चाहे कैसे भी आए
जो प्रोडुसेर इस वक़्त साई के नाम पर खेल रहे है और एक दूसरे चन्नेल्लो पर छींटाकशी कर रहे है वो देर रत किसी भी पब ये पार्टी मे जाम हाथ में लिए साई पर खेले
गये खेल की शान में कसीदे गाडते हुए सुने जा सकते है असली जिंदगी में चाहे वो कुछ भी करे लेकिन लोगो की आस्था का मज़ाक उड़ाने की छूट किसी को नही दी जा सकती
इसलिए आप लोगो से अनुरोध है की अगली बार जब ये चॅनेल इस तरह की घटिया प्रस्तुति पर फ़ोन करके आपसे राय देने को कहे तो आप फ़ोन पर उन्हे भरपूर गालिया देकर शर्मसार करे .

तेल में लगी आग:आग पर सिकती राजनीती की रोटियां

Friday, June 6, 2008


तेल के दामों में फिर आग लग गयी है अभी दो ही दिन बीते थे देश मे तेल के दाम बड़े की अंतरराष्ट्रिया बाज़ार में तेल की कीमते एक बार फिर १३९ डॉलर
प्रति बेरेल के पर जा पहुँची हैं पर हमारे देश मे तेल के दाम बदते ही तेल पर राजनीति का खेल शुरू हो गया है कहीं अशोक गोयल पुरानी दिल्ली मे घोड़े की सवारी
कर रहे है तो कही वनकय्या नायडू बैल को हलकान किए जा रहे है मध्य परदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साइकल से आफ़िस जा रहे है लेकिन लगता नही
है की राजनीति के स्टंट से ज़्यादा नेताओं को सच में आम जनता की कोई फिकर है लेकिन जिस शहर में मे रहता हू वाहा भाजपा की महिला प्रकोष्ठत की
कुछ महिलाओं ने सिलेंडर की अर्थ निकाली और उसकी शव यात्रा को कंधा दिया अब हिंदू धर्म में तो महिलाओं को कंधा देने की इजाज़त नही है लेकिन इन महिलाओं
ने फिर भी दिया खैर छोड़िए अब बात करते है असली जिंदगी की कुसुम की कुछ साल पहले ही शादी हुई थी पति एक प्राइवेट फार्म में पाँच हज़ार ही नौकरी करते है कुछ दिन पहले किष्तो
पर एक मोटोरसाइकेल ली थी लेकिन अब पेट्रोल के बड़े दामों ने उनके लिया दिक्क़ते खड़ी कर दी है रसोई गॅस के बड़े दामों ने कुसुम के माथे पर चिंता की लकीरें खिच दी है पर वो कोई विरोध नई
जाता सकते अड्जस्ट करना होगा क्योंकि देश तर्रकी कर रहा है उन्हे भी ये दिखाना होगा की वो भी तर्रकी कर रहे है इन बड़ी कीमतों की झेल सकते है
फिर भले ही इस तेल की चक्कर में उनका खुद का तेल क्यों ना निकल जाए देश तर्रकी कर रहा है महनगाई दर ८ फीसदी ज़्यादा है तो क्या हुआ
विकास दर भी तो इतनी है फिर बेशक इन आँकड़ो के खेल मे करोड़ो कुसुम और उनके पति पिसते रहे तो पीसने दीजिए किसी को क्या फरक पढ़ता है

पर्यावरण दिवस........पिघलती धरती

Wednesday, June 4, 2008


पल पल धरती पिघल रही है बारिश के दिनो मे धरती सुखी रहती है बेमोसम बरसात हो रही है गर्मी मे ठंड पड़ रही है ठंड अब पहले जैसी नही रही
कही मौसम मे आए ये परिवर्तन किसी बड़ी तबाही की ओर इशारा तो नही कर रहे धरती को बचाने की लाखों कोशिॉषे की जेया रही है लेकिन धारा का रूप हम इस कदर बिगाड़ चुके की सारी कोशिशे नाकाफ़ी लग रही है विकास के नाम पर लाखों पेड़ हर साल काट दिए जाते
कंक्रीट के जंगलों मे रहने के लिए सुविधयुक्त घर तो मिल रहे है लेकिन साँस लेने के लिए प्राण वायु हर पल कम होती जेया रही है
नादिया नलो मे तब्दील हो गयी है कुछ का तो नामोनिशान भी मिट चुका है
हर ओर धुआँ गंदगी ही दिखाई पद रही है गॉधुलि ढूंदेने निकलो तो सिर्फ़ धूल दिखाई देती है लगता है हमफरी धरती को किसी
की नज़र लग गयी है शायद हमारी खुद की..........................हो सके तो इसे बचालो

कहाँ रेल रुकेगी कहा पेड गीरेंगे इन्हे सब पता है


ये नये जमाने के पत्रकार है इन्हे सब मालूम है की गुज्जर कहा पैड गिराएँगे कहा रेल रोकेंगे .इनके ओफिसो मे ये तय
होता है की के अच्छे विज़ुअल किस तरह का हंगामा करने के बाद मिलेंगे इन्हे आम लोगो की परवाह नही है इन्हे अपने विज़ुअल्स से मतलब है
ये प्रदर्शनकारिओ को पाठ पड़ते है की सुबहा के वक़्त फलाँ ट्रेन रोकोगे तो यात्री ज़्यादा परेशन होंगे किस सड़क पर पेड़ गिरना विज़ुअल्स के लिहाज से अछा रहेगा
प्रदर्शनकारी भी मेहनत जाया नही जाने देना चाहते वो भी चाहते है की टीवी पर उनका चेहरा ज़्यादा से ज़्यादा दिखें सो वो भी ऐसा करते है ये मीडीया का
कौनसा रूप है ?जहाँ मीडीया लोगो की परेशानिया सरकार तक पहुँचने की बजे उनकी दिक्क़ते बड़ाने का काम कर रहा है
क्या ऐसा करने वाले पत्रकारिता को दीमक की तरह चट् नही कर रहे है
या क्रिएटीविटी के नाम पर ऐसा करने की छूट दी जा सकती है ?

जेब कतरो से सावधान

Thursday, January 31, 2008

रूट नम्बर १६५ कि बस से घर लौट रह था तभी किसी ने मेरी जेब से मेरा पर्स गायब कर दिया समय रहते मुझे पता चल गया तो में उसके पीछे भगा ,भागते भागते मेरी एक मोटर साईकिल से टक्कर भी हो गयी और चोट भी आई पर फिर भी मैं उसके पीछे भगा और उसे पकड़ने मैं कामयाब रहा, मैं पत्रकारिता का विध्यारती ह इसलिए मेरी जेब में ज्यादा पैसे तो नही थे पर कुछ जरुरी सामान था मसलन मेरा आई कार्ड फी सिलिप आदि जिनकी कीमत एक विद्यारती के लीए पैसे से ज्यादा होती है मेने उसे पकड़ लिया मैं अपनी सफलता पर खुश था मैं उस चोर को एक पी सी आर कि मदद से थाने ले आया वंहा एक पुलिस कर्मी को सारा वाकया बताया सब कुछ सुनने के बाद वो मुझे बाहर ले गया औए दो रस्ते सुझाने लगा शायद सभी सरकारी विभागों में आम लोगो को दो रस्ते बताये जाते हे उसने मुझे पहला रास्ता बताया कि मैं चाहू तो मामले को रफा दफा कर दु, और फिर उसने मुझे दूसरा रास्ता बताया जो सुनने में तो अछा था पर हकीकत में काफी भयानक उसने कहा कि मैं चहु तो मुकद्दमा कायम करा सकता हु पर सुनवाई में शायद आठ दस साल लग जाये और तब तक शायद मुझे कचहरी के चक्कर काटने पड़े मेरा अन्दर का जो पत्रकार कुछ देर पहले जगा हुआ था अब वो सो चूका था औए उसकी जगह आम आदमी ने ले ली थी मैं घबरा गया और मेने पहला वाला रास्ता चुन लिया अब मैं आम आदमी था और आम आदमी को दर्द भी होता है मेने अपने पैर कि तरफ देखा तो वो सूज चूका था मेरी एक सफलता ने मुझे सारा दर्द भुलवा दिया था और एक हकीकत ने साड़ी टीस वापस लौटा दी अब आम आदमी घर लौट रह था दर्द में करहाता हुआ

 
 
 

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