मै क्यो दूं वोट?

Wednesday, April 22, 2009


यूवाओं को खुद को प्पपू साबित न करने का संदेश देते तमाम विज्ञापन इन दिनो देख रहा हूं सुन रहा हूं...लेकिन मैं पूछता हूं की मै क्यों वोट दूं मेरे पास विक्लप कितने है... क्या मै उसे वोट दूं ?..जिस पर 35 आपराधिक मामले दर्ज है या उससे बेहतर विक्लप को जिस पर उससे कुछ कम मामले दर्ज है... नतीजा तो ढाक के तीन पात ही रहेगा ना सत्त्ता में तो एक अपराधी ही आयेगा फिर क्यों मे एक अपराधी को सत्त्ता मे आने का मौका दूं मै क्यो वोट दूं ?...चलिए माना की सब जगह अपराधी नही होते लेकिन लोकतंत्र का खेल भी तो गज़ब है अगर मैं किसी वामपंथी के सामने किसी दुसरे उम्मीदवार को वोट दूं और वो उम्मीदवार या उसकी पार्टी केंद्र मे उस वाम पंथी के साथ ही सरकार बना ले तो मै तो ठगा सा महसूस करुंगा ना ..तो मै क्यों वोट दूं ? चलिए शायद एसा न भी हों लेकिन उम्मीदवार जीतने के बाद अगर पांच साल मुझे शक्ल न दिखायें तो एसे उम्मीदवार को मै क्यों वोट दूं ?...इसके अलावा भी तमाम सवाल हैं ज़हन मे जब तक उनका जवाब नही मिलता मै क्यों वोट दूं?

2 टिप्पणियाँ:

मत दो वोट भाई
फालतू का काम है, किसी नए तंत्र के बारे में सोचना होगा। राजशआही ही इससे बढ़िया है।

Anil Kumar said...

सब गंदे हैं लेकिन आप तो साफ हैं न? चुनाव में खुद खड़े होकर अपने आप को ही वोट दें!

 
 
 

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