पिछले दिनों सलीम खान नाम के एक शख्स नें मोहल्ला पर कुछ लिख क्या दिया इस पर कुछ ठेकेदारों ने हंगामा बरपा दिया सलीम की एंट्री मोहल्ला में बंद कर दी गई भई क्या अब भी हम उस युग में जी रहे है जहां किसी का हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है लोकतंत्र आगर आप को कुछ कहने की आजादी देता है तो कुछ सुनने का माद्धा भी हम सभी को रखना चाहिये सलीम खान की सोच संकीरेण है यै नही इस बारें तो मै कुछ नही कहना चाहता लेकिन मोहल्ले से उन्हे बाहर करने वाले और करवाने वालों की सोच बहुत छोटी है ये बात मुझे पता लग गई अगर कोई ब्लाग के जरिये किसी मज़हब की पैरोकारी कर रहा है तो करने दिजीये ना ...आप अपने विवेक से काम लिजिये...मुझे अविनाश जी से अपनी मुलाकात ध्यान है हम सराय मै ब्लागर्स की मीटिंग के तहत मिले थे तब मुझे ब्लाग के विषय में कुछ खास पता नही था लेकिन अविनाश जी के विचारों ने मुझ् ब्लागिंग के लिए प्रेरित किया और फिर मैने अपने प्पत्रकारिता के अंतिम साल में ब्लागिंग के ही अपने प्रोजेक्ट के तौर पर चुना,. तब अविनाश जी से मै उनके घर पर मिला और उनका इंटरव्यू किया... जिस चीज़ ने मुझे ब्लागिंग के लिए प्रेरित किया वो थी इसकी लोकतंत्र को और मज़बूत करने वाली बात की किस तरह यहां कोई भी कुछ भी लिख सकता है और अपने विचार रख सकता है ये बात मुझे अविनाश जी ने बताई ...मै अविनाश जी सो पूछना चाहता हूं की वो लोकतांत्रिक रवैये वाली बात अब कहां गयी क्यों कुछ समाज के ठेकेदारों के दबाव मे आकर आपने सलीम खान को प्रतिबंधित कर दिया ब्लाग पर सैंसर की बात समझ मे नही आयी वो भी मोहल्ला पर ...इस मोहल्ले में मै सब को देखना पंसंद करुंगा बजाय की सिर्फ एक खास किस्म के सोच रखने वालों को देखने के ...मै सलीम खान की पैरोकारी नही कर रहा लेकिन अपने जीवन मे हम सभी किसी न किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होते है इससे निकलना मुश्किल होता है अगर सलीम खान की सोच सबको साप्रदायिक लगती है तो उसका विरोध करने वालों की सोच में भी फिरका परस्ती की बूं आती है ...... मोहल्ला फिर किसी की अभिवयक्ति की आजा़दी पर प्रहार नही करेगा यही उम्मीद करता हूं ....ज़रा जल्दी में इस पोस्ट को ख्तम कर रहा हूं लेकिन मेरी इस गुजा़रिश पर गौर फरमाइएगा...
6 टिप्पणियाँ:
उसे अपने फसाद पर आमंत्रित कर लो. सो सिंपल!
सही है फैसला . किसी भी समूह ब्लॉग ब्लॉग का फैसला भी लोकतान्त्रिक ही है .
कल कोई और धर्म या साबुन तेल बेचने का फैसला कर सकता है .निजीकरण और व्यवसायीकरण भी . जो छपता है वह भी सामूहिक और नैतिक जिम्मेदारी होती है .
शुक्रिया आपका, कम से कम कोई तो है जिसने मुझे समझा , धन्यवाद
अब तो मेरी यह मांग है कि मेरी उस आई डी को (saleemlko@जीमेल.कॉम) को पुनः बहाल किया जाये. उम्मीद है लोकतंत्र की लाज के लिए हमारे मोहल्ला के मुखिया श्री अविनाश जी इस पर ज़रूर विचार करेंगे
Anonymous तो जैसे लगता है कोई ब्लॉग एडमिनिस्ट्रेटर की तरह बिहैव कर रहा है. इस पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए. यही Anonymous ही सलीम के खिलाफ इतना ज़हर उगल रहा है. प्लीज़ अविनाश जी Anonymous के आप्शन को क्लोज़ कर दें नहीं तो पता नहीं. सलीम के बाद फसादी और उसके बाद फिर कोई तीसरा, चौथा, पांचवां इस मोहल्ले से एक के बाद एक निकलता चला जाये.... यह तो लोकतंत्र और अभिव्व्क्ति की आज़ादी का गला घोंटने की बात हो गयी.
"तर्क से आप अपनी बात इधर उधर घुमा कर सिद्ध करने में लगे हुए हैं, सही भी है क्यूंकि सत्य को केवल तर्क ही मात दे सकता है, मगर याद रहे सत्य को तर्क क्षणिक रूप से भले ही पीछे कर दे, सत्य फिर भी सत्य ही है. आपको, मुझको और सबको पता है .....सत्यमेव जयते"
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