पल पल धरती पिघल रही है बारिश के दिनो मे धरती सुखी रहती है बेमोसम बरसात हो रही है गर्मी मे ठंड पड़ रही है ठंड अब पहले जैसी नही रही
कही मौसम मे आए ये परिवर्तन किसी बड़ी तबाही की ओर इशारा तो नही कर रहे धरती को बचाने की लाखों कोशिॉषे की जेया रही है लेकिन धारा का रूप हम इस कदर बिगाड़ चुके की सारी कोशिशे नाकाफ़ी लग रही है विकास के नाम पर लाखों पेड़ हर साल काट दिए जाते
कंक्रीट के जंगलों मे रहने के लिए सुविधयुक्त घर तो मिल रहे है लेकिन साँस लेने के लिए प्राण वायु हर पल कम होती जेया रही है
नादिया नलो मे तब्दील हो गयी है कुछ का तो नामोनिशान भी मिट चुका है
हर ओर धुआँ गंदगी ही दिखाई पद रही है गॉधुलि ढूंदेने निकलो तो सिर्फ़ धूल दिखाई देती है लगता है हमफरी धरती को किसी
की नज़र लग गयी है शायद हमारी खुद की..........................हो सके तो इसे बचालो
Mohalla Live
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Mohalla Live
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जाहिलों पर क्या कलम खराब करना!
Posted: 07 Jan 2016 03:37 AM PST
➧ *नदीम एस अख्तर*
मित्रगण कह रहे हैं कि...
8 years ago
5 टिप्पणियाँ:
हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, आप हिन्दी में बढ़िया लिखें और खूब लिखें यही उम्मीद है।
॥दस्तक॥
तकनीकी दस्तक
गीतों की महफिल
बहुत ही सामयिक लेख है। बधाई स्वीकारें।
हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, आप हिन्दी में बढ़िया लिखें और खूब लिखें यही उम्मीद है।
॥दस्तक॥
तकनीकी दस्तक
गीतों की महफिल
सुन्दर प्रस्तुति
ब्लोग जगत में आपका स्वागत है.. अपनी कलम चलाते रहें.
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