पर्यावरण दिवस........पिघलती धरती

Wednesday, June 4, 2008


पल पल धरती पिघल रही है बारिश के दिनो मे धरती सुखी रहती है बेमोसम बरसात हो रही है गर्मी मे ठंड पड़ रही है ठंड अब पहले जैसी नही रही
कही मौसम मे आए ये परिवर्तन किसी बड़ी तबाही की ओर इशारा तो नही कर रहे धरती को बचाने की लाखों कोशिॉषे की जेया रही है लेकिन धारा का रूप हम इस कदर बिगाड़ चुके की सारी कोशिशे नाकाफ़ी लग रही है विकास के नाम पर लाखों पेड़ हर साल काट दिए जाते
कंक्रीट के जंगलों मे रहने के लिए सुविधयुक्त घर तो मिल रहे है लेकिन साँस लेने के लिए प्राण वायु हर पल कम होती जेया रही है
नादिया नलो मे तब्दील हो गयी है कुछ का तो नामोनिशान भी मिट चुका है
हर ओर धुआँ गंदगी ही दिखाई पद रही है गॉधुलि ढूंदेने निकलो तो सिर्फ़ धूल दिखाई देती है लगता है हमफरी धरती को किसी
की नज़र लग गयी है शायद हमारी खुद की..........................हो सके तो इसे बचालो

5 टिप्पणियाँ:

हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, आप हिन्दी में बढ़िया लिखें और खूब लिखें यही उम्मीद है।

॥दस्तक॥
तकनीकी दस्तक
गीतों की महफिल

शोभा said...

बहुत ही सामयिक लेख है। बधाई स्वीकारें।

हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, आप हिन्दी में बढ़िया लिखें और खूब लिखें यही उम्मीद है।

॥दस्तक॥
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गीतों की महफिल

सुन्दर प्रस्तुति

Admin said...

ब्लोग जगत में आपका स्वागत है.. अपनी कलम चलाते रहें.

 
 
 

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